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जाओ क़रार-ए-बे-दिलाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर | शाही शायरी
jao qarar-e-be-dilan sham-ba-KHair shab-ba-KHair

ग़ज़ल

जाओ क़रार-ए-बे-दिलाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

जौन एलिया

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जाओ क़रार-ए-बे-दिलाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
सहन हुआ धुआँ धुआँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

शाम-ए-विसाल है क़रीब सुब्ह-ए-कमाल है क़रीब
फिर न रहेंगे सरगिराँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

वज्द करेगी ज़िंदगी जिस्म-ब-जिस्म जाँ-ब-जाँ
जिस्म-ब-जिस्म जाँ-ब-जाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

ऐ मिरे शौक़ की उमंग मेरे शबाब की तरंग
तुझ पे शफ़क़ का साएबाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

तू मिरी शायरी में है रंग-ए-तराज़ ओ गुल-फ़िशाँ
तेरी बहार बे-ख़िज़ाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

तेरा ख़याल ख़्वाब ख़्वाब ख़ल्वत-ए-जाँ की आब-ओ-ताब
जिस्म-ए-जमील-ओ-नौजवाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

है मिरा नाम-ए-अर्जुमंद तेरा हिसार-ए-सर-बुलंद
बानो-ए-शहर-ए-जिस्म-ओ-जाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

दीद से जान-ए-दीद तक दिल से रुख़-ए-उमीद तक
कोई नहीं है दरमियाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

हो गई देर जाओ तुम मुझ को गले लगाओ तुम
तू मिरी जाँ है मेरी जाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर मौज-ए-शमीम-ए-पैरहन
तेरी महक रहेगी याँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर