जाओ भी जिगर क्या है जो बेदाद करोगे
नाले मिरे सुन लोगे तो फ़रियाद करोगे
तुम बा'द मिरे ग़ैर का दिल शाद करोगे
क्यूँ याद मिरी आएगी क्या याद करोगे
पाओगे ग़ुलाम एक वफ़ादार न ऐसा
पछताओगे हम को अगर आज़ाद करोगे
ग़ुस्से का सबब देर से मैं पूछ रहा हूँ
दुश्नाम ही दोगे कि कुछ इरशाद करोगे
पछताओ न दिल दे के 'हफ़ीज़' उन को तो कहना
वो ज़क ये हसीं देंगे कि तुम याद करोगे
ग़ज़ल
जाओ भी जिगर क्या है जो बेदाद करोगे
हफ़ीज़ जौनपुरी