EN اردو
जाने वो कौन था और किस को सदा देता था | शाही शायरी
jaane wo kaun tha aur kis ko sada deta tha

ग़ज़ल

जाने वो कौन था और किस को सदा देता था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

;

जाने वो कौन था और किस को सदा देता था
उस से बिछड़ा है कोई इतना पता देता था

कोई कुछ पूछे तो कहता कि हवा से बचना
ख़ुद भी डरता था बहुत सब को डरा देता था

उस की आवाज़ कि बे-दाग़ सा आईना थी
तल्ख़ जुमला भी वो कहता तो मज़ा देता था

दिन-भर एक एक से वो लड़ता-झगड़ता भी बहुत
रात के पिछले-पहर सब को दुआ देता था

वो किसी का भी कोई नश्शा न बुझने देता
देख लेता कहीं इम्काँ तो हवा देता था

इक हुनर था कि जिसे पा के वो फिर खो न सका
एक इक बात का एहसास नया देता था

जाने बस्ती का वो इक मोड़ था क्या उस के लिए
शाम ढलते ही वहाँ शम्अ' जला देता था

एक भी शख़्स बहुत था कि ख़बर रखता था
एक तारा भी बहुत था कि सदा देता था

रुख़ हवा का कोई जब पूछता उस से 'बानी'
मुट्ठी-भर ख़ाक ख़ला में वो उड़ा देता था