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जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले | शाही शायरी
jaane wale na hum us kuche mein aane wale

ग़ज़ल

जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले

रियाज़ ख़ैराबादी

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जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले
अच्छे आए हमें दीवाना बनाने वाले

तू सलामत रहे दिल में उतर आने वाले
तिरे सदक़े मिरी आँखों में समाने वाले

एक हम लाख हसीनों से एवज़ लेने को
एक दिल लाख हसीं दिल के सताने वाले

जब मिले ख़िज़्र मिले हम से उसी वज़्अ के साथ
हाए क्या लोग हैं ये अगले ज़माने वाले

तीर-ए-मिज़्गाँ में छिदे कब जिगर-ओ-दिल देखे
तेरी नावक तो हैं बे-पर की उड़ाने वाले

बन गया मेरे लिए हश्र का दिन वस्ल की रात
मिल गए आज मुझे मेरे सताने वाले

निगह-ए-नाज़ इधर है निगह-ए-शौक़ उधर
हम तो बिजली को हैं बिजली से लड़ाने वाले

बाँध देगी ये हिना हाथ जो रहम आएगा
क्या बुझाएँगे लगी आग बुझाने वाले

बार-ए-इस्याँ से मिरे साथ पिसे और भी चार
दब गए हाए जनाज़े के उठाने वाले

साथ सोहबत के वो सब हर्फ़-ओ-हिकायात किए
सुनने वाले हैं न अफ़्साने सुनाने वाले

कम-सिनी पर तरस आया न शब-ए-वस्ल 'रियाज़'
उफ़ रे बेदर्द हसीनों के सताने वाले