जाने क्या क़ीमत-ए-अरबाब-ए-वफ़ा ठहरेगी
मैं अगर अर्ज़ करूँगा तो ख़ता ठहरेगी
नोक-ए-नश्तर से खिलाई गईं कलियाँ कितनी
जाने इस शहर की क्या आब-ओ-हवा ठहरेगी
रक़्स-ए-परवाना की गर्दिश जो थमे आख़िर-ए-शब
अहल-ए-महफ़िल के लिए ये भी अदा ठहरेगी
आज के दौर में वीराने भी ता'मीर हुए
कल की तहज़ीब ख़ुदा जानिए क्या ठहरेगी
मुद्दतों बा'द किसी बंद दरीचे के क़रीब
क्या ख़बर थी मिरी रफ़्तार ज़रा ठहरेगी
तिरी आवाज़ मिरे वास्ते सहरा का सुकूत
मेरी ख़ामोशी रह-ओ-रस्म-ए-दुआ ठहरेगी
लोग रहते हैं यहाँ ख़ाली मकानों की तरह
किस के दरवाज़ा पे दस्तक की सदा ठहरेगी
'शाज़' इधर ख़्वाब के दरिया पे मिलेगा कोई
एक परछाईं सर-ए-आब सुना ठहरेगी
ग़ज़ल
जाने क्या क़ीमत-ए-अरबाब-ए-वफ़ा ठहरेगी
शाज़ तमकनत