जान गए तो मान लिया
यूँ तुझ को पहचान लिया
दुनिया भेदों वाली ने
कैसा पर्दा तान लिया
दिल वालों की बस्ती से
तू ने क्या सामान लिया
मुश्किल से हल होता है
क़िस्सा जो आसान लिया
क्या मानें हम दिल की बात
दिल भी तो नादान लिया
मंज़िल फिर भी दूर रही
सहराओं को छान लिया
मीठे मीठे बोलों का
दिल ने कैसा दान लिया
ग़ज़ल
जान गए तो मान लिया
सबीहा सबा