इतने चेहरे हैं सभी पर प्यार रौशन है
क्या ख़बर चेहरों के पीछे कौन दुश्मन है
दूर तक पहुँचा के हम अपनी सदा ख़ुश हैं
वर्ना समझें तो ये अपना खोखला-पन है
लोग तिनके अध-जले सिगरेट के टुकड़े
अपनी दुनिया राख और तिनकों का बर्तन है
कर रखे थे बंद उस पर मैं ने दरवाज़े
घर में अब कितनी घुटन है कितनी सीलन है
खींच कर अल्फ़ाज़ को लाता तो हूँ लेकिन
आज के सफ़्हात पर फिसलन ही फिसलन है
तुम भी अपनी पुश्त पर इक पोस्टर रख लो
आज-कल सुनते हैं कुछ ऐसा ही फैशन है

ग़ज़ल
इतने चेहरे हैं सभी पर प्यार रौशन है
रईस फ़राज़