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इश्क़ मुकम्मल ख़्वाब-ए-परेशाँ | शाही शायरी
ishq mukammal KHwab-e-pareshan

ग़ज़ल

इश्क़ मुकम्मल ख़्वाब-ए-परेशाँ

अनवर साबरी

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इश्क़ मुकम्मल ख़्वाब-ए-परेशाँ
हुस्न हमा ताबीर-ए-गुरेज़ाँ

क़तरे में दरिया की समाई
दर्द-ए-दो-आलम इक दिल-ए-इंसाँ

इश्क़ ब-हर अंदाज़-ए-तजल्ली
लर्ज़ां लर्ज़ां रक़्साँ रक़्साँ

इश्क़ ब-रंग-ए-शोला-ओ-शबनम
सोज़िश-ए-पिन्हाँ अश्क नुमायाँ

मेरी निगाह-ए-फ़िक्र में 'अनवर'
इश्क़ फ़साना हुस्न है उर्यां