EN اردو
इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या | शाही शायरी
ishq kya husn kya fasana kya

ग़ज़ल

इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या

कलीम अख़्तर

;

इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या
हम न होंगे तो रंग-ए-दुनिया क्या

साफ़ कुछ भी नज़र नहीं आता
आइना हो गया है धुँदला क्या

आरज़ू ख़्वाब दिल-लगी वा'दा
इन घरोंदों पे कुछ भरोसा क्या