इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या
हम न होंगे तो रंग-ए-दुनिया क्या
साफ़ कुछ भी नज़र नहीं आता
आइना हो गया है धुँदला क्या
आरज़ू ख़्वाब दिल-लगी वा'दा
इन घरोंदों पे कुछ भरोसा क्या
ग़ज़ल
इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या
कलीम अख़्तर
ग़ज़ल
कलीम अख़्तर
इश्क़ क्या हुस्न क्या फ़साना क्या
हम न होंगे तो रंग-ए-दुनिया क्या
साफ़ कुछ भी नज़र नहीं आता
आइना हो गया है धुँदला क्या
आरज़ू ख़्वाब दिल-लगी वा'दा
इन घरोंदों पे कुछ भरोसा क्या