इश्क़ की दास्तान क्या कहिए 
ख़ामुशी है ज़बान क्या कहिए 
एक दिल पर हज़ार इल्ज़ामात 
सब्र का इम्तिहान क्या कहिए 
तीर-ओ-नश्तर की बात ही क्या है 
हों जो अबरू कमान क्या कहिए 
देख कर इक जमाल-ए-रा'नाई 
आरज़ू है जवान क्या कहिए 
शेवा-ए-हुस्न बेवफ़ाई है 
आप से मेहरबान क्या कहिए 
मंज़िल-ए-इश्क़ है कठिन यारो 
शौक़ का इम्तिहान क्या कहिए 
फ़ितरत-ए-हुस्न है बहुत बेबाक 
इश्क़ है बे-ज़बान क्या कहिए 
है ज़ईम-ए-जहान-ए-शेर-ओ-अदब 
ख़िज़्र का ख़ानदान क्या कहिए 
सादगी भी है और नुदरत भी 
ये 'नज़र' की ज़बान क्या कहिए
        ग़ज़ल
इश्क़ की दास्तान क्या कहिए
नज़र बर्नी

