इश्क़ की अंजुमन की बात करें
फिर किसी गुल-बदन की बात करें
भूल भी जाएँ तीरगी-ए-हयात
मुस्कुराती किरन की बात करें
इस जहाँ से ख़िज़ाँ का दौर गया
लहलहाते चमन की बात करें
क्या ज़रूरी है जू-ए-शीर की बात
क्यूँ न गंग-ओ-जमन की बात करें
सुर्ख़ आँचल में कसमसाई हुई
सुब्ह की इस दुल्हन की बात करें
साथियो गाओ इंक़िलाबी गीत
आओ दार-ओ-रसन की बात करें
ग़ज़ल
इश्क़ की अंजुमन की बात करें
हैदर अली जाफ़री