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इशारे मुद्दतों से कर रहा है | शाही शायरी
ishaare muddaton se kar raha hai

ग़ज़ल

इशारे मुद्दतों से कर रहा है

ज़हीर रहमती

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इशारे मुद्दतों से कर रहा है
अभी तक साफ़ कहते डर रहा है

बचाना चाहता है वो सभी को
बहुत मरने की कोशिश कर रहा है

समुंदर तक रसाई के लिए वो
ज़माने भर का पानी भर रहा है

कहीं कुछ है पुराने ख़्वाब जैसा
मिरी आँखों से ज़ालिम डर रहा है

ज़माने भर को है उम्मीद उसी से
वो ना-उम्मीद ऐसा कर रहा है