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इसे सौदा उसे सौदा ये दीवाना वो दीवाना | शाही शायरी
ise sauda use sauda ye diwana wo diwana

ग़ज़ल

इसे सौदा उसे सौदा ये दीवाना वो दीवाना

मुबारक अज़ीमाबादी

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इसे सौदा उसे सौदा ये दीवाना वो दीवाना
हवा क्या मौसम-ए-गुल की जुनूँ-अंगेज़ होती है

अरे कम-बख़्त इंकार और मय से मौसम-ए-गुल में
बुरी इतनी भी ज़ाहिद आदत-ए-परहेज़ होती है

छुरी से पहले मुझ को तेरे ग़म्ज़े मार डालेंगे
कब आएगी अरे जल्लाद कब से तेज़ होती है

'मुबारक' भी इसी ख़ाक-ए-अज़ीम-आबाद से उट्ठा
सलामत वो ज़मीं या-रब जो मर्दुम-ख़ेज़ होती है