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इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे | शाही शायरी
is jahan mein pyar mahke zindagi baqi rahe

ग़ज़ल

इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे

देवमणि पांडेय

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इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे
ये दुआ माँगो दिलों में रौशनी बाक़ी रहे

आदमी पूरा हुआ तो देवता हो जाएगा
ये ज़रूरी है कि उस में कुछ कमी बाक़ी रहे

दोस्तों से दिल का रिश्ता काश हो कुछ इस तरह
दुश्मनी के साए में भी दोस्ती बाक़ी रहे

दिल के आँगन में उगेगा ख़्वाब का सब्ज़ा ज़रूर
शर्त है आँखों में अपनी कुछ नमी बाक़ी रहे

इश्क़ जब करिए किसी से दिल में ये जज़्बा भी हो
लाख हों रुस्वाइयाँ पर आशिक़ी बाक़ी रहे

दिल में मेरे पल रही है ये तमन्ना आज भी
इक समुंदर पी चुकूँ और तिश्नगी बाक़ी रहे