EN اردو
इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी | शाही शायरी
insan hain haiwan yahan bhi hai wahan bhi

ग़ज़ल

इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

निदा फ़ाज़ली

;

इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी

ख़ूँ-ख़्वार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं
हर शहर बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी

हिन्दू भी सुकूँ से है मुसलमाँ भी सुकूँ से
इंसान परेशान यहाँ भी है वहाँ भी

रहमान की रहमत हो कि भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहाँ भी

उठता है दिल-ओ-जाँ से धुआँ दोनों तरफ़ ही
ये 'मीर' का दीवान यहाँ भी है वहाँ भी