इंक़िलाब-ए-सहर-ओ-शाम इलाही तौबा
असर-ए-गर्दिश-ए-अय्याम इलाही तौबा
फ़ितरत-ए-बादा-ए-रंगीं में नहीं कैफ़ ओ नशात
रिंद हैं मोरीद-ए-इल्ज़ाम इलाही तौबा
सेहन-ए-गुलशन में बहारों ने बिछा रक्खे हैं
लाला ओ गुल के हसीं दाम इलाही तौबा
आलम-ए-नज़अ में पलकों पे लरज़ते आँसू
इश्क़ का आख़िरी पैग़ाम इलाही तौबा
गुलशन-ए-फ़िक्र पे 'अनवर' है गिराँ-बार मिज़ाज
शेर की बारिश-ए-इल्हाम इलाही तौबा
ग़ज़ल
इंक़िलाब-ए-सहर-ओ-शाम इलाही तौबा
अनवर साबरी