इनायत कम मोहब्बत कम वफ़ा कम
मिला सब कुछ हमें लेकिन मिला कम
बड़ी रंगीन बेहद ख़ुशनुमा थी
तिरी दुनिया में लेकिन जी लगा कम
तुम अपने ग़म की तल्ख़ी भी मिला दो
शराब-ए-ज़िंदगी में है नशा कम
चलो यूँ ही सही हम बेवफ़ा हैं
मगर ऐ बेवफ़ा तुझ से ज़रा कम
'हसन' दुनिया में हम ने यूँ बसर की
अदावत कम शिकायत कम गिला कम
ग़ज़ल
इनायत कम मोहब्बत कम वफ़ा कम
हसन कमाल