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इन को नफ़रत इसे क्या कहते हैं | शाही शायरी
inko nafrat ise kya kahte hain

ग़ज़ल

इन को नफ़रत इसे क्या कहते हैं

सख़ी लख़नवी

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इन को नफ़रत इसे क्या कहते हैं
हम को रग़बत इसे क्या कहते हैं

नक़्द-ए-दिल ले के हमारा न दिया
ख़ुद बदौलत इसे क्या कहते हैं

रोज़-ए-फ़ुर्क़त भी तो है तूल बहुत
ऐ क़यामत इसे क्या कहते हैं

हर परी-रू पे तुझे आ जाना
ऐ तबीअत इसे क्या कहते हैं

ग़ैर को बज़्म में बिठला लेना
हम को रुख़्सत इसे क्या कहते हैं

एक तो इश्क़ का सदमा मुझ को
उस पे फ़ुर्क़त इसे क्या कहते हैं

नक़्द-ए-दिल इश्क़ में देते हैं 'सख़ी'
ऐ सख़ावत इसे क्या कहते हैं