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इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं | शाही शायरी
ek umr se hum tum aashna hain

ग़ज़ल

इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं
हम से मह ओ अंजुम आश्ना हैं

दिल डूबता जा रहा है पैहम
लब हैं कि तबस्सुम आश्ना हैं

उन मंज़िलों का सुराग़ कम है
जिन मंज़िलों में गुम आश्ना हैं

कुछ चारा-ए-दर्द-ए-आश्नाई
किस सोच में गुम-सुम आश्ना हैं

इस दौर में तिश्ना-काम साक़ी
हम जैसे कई ख़ुम-आश्ना हैं