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इक शम्अ' सारी रात जली तेरी याद में | शाही शायरी
ek shama sari raat jali teri yaad mein

ग़ज़ल

इक शम्अ' सारी रात जली तेरी याद में

ख़लिश देहलवी

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इक शम्अ' सारी रात जली तेरी याद में
हर सम्त रौशनी सी रही तेरी याद में

मेरी यक़ीं न हो तो सितारों से पूछना
बे-ख़्वाब चाँदनी भी रही तेरी याद में

दुनिया में रह के दौर ज़माने से हो गए
हर शक्ल अजनबी सी लगी तेरी याद में

दामन गुलों ने चाक किए तेरे नाम पर
शबनम भी अश्क-बार रही तेरी याद में

वीरानियों के दौर में फूलों के सिलसिले
ये भी 'ख़लिश' ने ख़ूब कही तेरी याद में