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हूँ तेरे तसव्वुर में मिरी जाँ हमा-तन-चश्म | शाही शायरी
hun tere tasawwur mein meri jaan hama-tan-chashm

ग़ज़ल

हूँ तेरे तसव्वुर में मिरी जाँ हमा-तन-चश्म

नज़ीर अकबराबादी

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हूँ तेरे तसव्वुर में मिरी जाँ हमा-तन-चश्म
दिल है मिरा जूँ आईना हैराँ हमा-तन-चश्म

ता एक नज़र देखे तुझे ऐ मह-ए-ताबाँ
रहता है सदा महर-ए-दरख़्शाँ हमा-तन-चश्म

आँखों को मले ताकि तिरे पाँव के नीचे
हर नक़्श-ए-क़दम से है बयाबाँ हमा-तन-चश्म

दीवानगी मेरी के तहय्युर में शब-ओ-रोज़
है हल्क़ा-ए-ज़ंजीर से ज़िंदाँ हमा-तन-चश्म

उस आईना-रू के है तसव्वुर में 'नज़ीर' अब
हैरत-ज़दा नज़्ज़ारा परेशाँ हमा-तन-चश्म