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हुस्न की बिजलियाँ अल-अमाँ अल-अमाँ | शाही शायरी
husn ki bijliyan al-aman al-aman

ग़ज़ल

हुस्न की बिजलियाँ अल-अमाँ अल-अमाँ

शम्स इटावी

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हुस्न की बिजलियाँ अल-अमाँ अल-अमाँ
इश्क़ की गर्मियाँ जावेदाँ जावेदाँ

बाग़ में गर नशेमन जला क्या हुआ
ग़म है सहरा हुए गुलिस्ताँ गुलिस्ताँ

कुछ न महमिल-नशीं का पता मिल सका
हम फिरे ढूँडते कारवाँ कारवाँ

बाग़-ए-आलम में गर कोई बिजली गिरी
रौशनी हो गई आशियाँ आशियाँ

है यक़ीनन कोई बात ऐसी कि तुम
हो तबस्सुम ब-लब शादमाँ शादमाँ

एक दिन ग़ुंचा-दिल भी खिल जाएगा
आएगी फ़स्ल-ए-गुल गुल्सिताँ गुल्सिताँ

क्या असर कुछ गिरानी का तुम पर नहीं
'शम्स' फिरते हो क्यूँ शादमाँ शादमाँ