EN اردو
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन | शाही शायरी
hue hum be-sar-o-saman lekin

ग़ज़ल

हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन

बकुल देव

;

हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
सफ़र को कर लिया आसान लेकिन

किनारे ज़द में आना चाहते हैं
उतरने को है अब तूफ़ान लेकिन

बहुत जी चाहता है खुल के रो लें
लहक उट्ठे न ग़म का धान लेकिन

तअ'ल्लुक़ तर्क तो कर लें सभी से
भले लगते हैं कुछ नुक़सान लेकिन

तवाज़ुन आ चला है ज़ेहन-ओ-दिल में
शिकस्ता हाल है मीज़ान लेकिन

बहुत से रंग उतरे बारिशों में
धनक के खुल गए इम्कान लेकिन