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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले | शाही शायरी
hazaron KHwahishen aisi ki har KHwahish pe dam nikle

ग़ज़ल

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

मिर्ज़ा ग़ालिब

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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

I have a thousand yearnings , each one afflicts me so
Many were fulfilled for sure, not enough although

डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले

Why is my murderer afraid would she have to account
For blood that ceaselessly, from these eyes does flow

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले

From Eden, of Adam's exile, I am familiar, though
Greatly humiliated from your street didI have to go

भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले

O cruel one, illusions of your stature all will know
If those devious curls of yours could straighten arow

मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले

If someone wants to write to her, on me this task bestow
Since morning I am roaming with a pen upon my brow

हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले

The rites of drinking at this time with me associate
Days are here now again when Jamshed's wine does flow

हुई जिन से तवक़्क़ो' ख़स्तगी की दाद पाने की
वो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले

For my injuries, from those that, praise I did expect
They too turned out to be wounded, actually more so

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

In love there is no difference 'tween life and death do know
The very one for whom I die, life too does bestow

कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइ'ज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले

Wherefrom the 'saintly' priest, and where the tavern's door
But as I entered he was leaving, this much I do know