हवादिस हम-सफ़र अपने तलातुम हम-इनाँ अपना
ज़माना लूट सकता है तो लूटे कारवाँ अपना
नसीम-ए-सुब्ह से क्या टूटता ख़्वाब-ए-गिराँ अपना
कोई नादान बिजली छू गई है आशियाँ अपना
हमें भी देख लो आसार-ए-मंज़िल देखने वालो
कभी हम ने भी देखा था ग़ुबार-ए-कारवाँ अपना
मिज़ाज-ए-हुस्न पर क्या क्या गुज़रता है गिराँ फिर भी
किसी को आ ही जाता है ख़याल-ए-ना-गहाँ अपना
अज़ल से कर रही है ज़िंदगानी तजरबे लेकिन
ज़माना आज तक समझा नहीं सूद ओ ज़ियाँ अपना
जमाल-ए-दोस्त को पैहम बिखरना है सँवरना है
मोहब्बत ने उठाया है अभी पर्दा कहाँ अपना
हमेशा शम्अ भड़केगी सदा पैमाना छलकेगा
तिरी महफ़िल में हम छोड़ आए हैं जोश-ए-बयाँ अपना
ग़ज़ल
हवादिस हम-सफ़र अपने तलातुम हम-इनाँ अपना
क़ाबिल अजमेरी