हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है
ख़िज़ाँ चमन से है जाती बहार राह में है
गदा-नवाज़ कोई शहसवार राह में है
बुलंद आज निहायत ग़ुबार राह में है
अदम के कूच की लाज़िम है फ़िक्र हस्ती में
न कोई शहर न कोई दयार राह में है
न बदरक़ा है न कोई रफ़ीक़ साथ अपने
फ़क़त इनायत-ए-परवर-दिगार राह में है
सफ़र है शर्त मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरे
हज़ार-हा शजर-ए-साया-दार राह में है
मक़ाम तक भी हम अपने पहुँच ही जाएँगे
ख़ुदा तो दोस्त है दुश्मन हज़ार राह में है
थकें जो पाँव तो चल सर के बल न ठहर 'आतिश'
गुल-ए-मुराद है मंज़िल में ख़ार राह में है
ग़ज़ल
हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है
हैदर अली आतिश