EN اردو
हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है | शाही शायरी
har ek KHwab ki tabir thoDi hoti hai

ग़ज़ल

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

;

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है
मोहब्बतों की ये तक़दीर थोड़ी होती है

कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते हैं
सदा ज़माने की तक़्सीर थोड़ी होती है

पलक पे ठहरे हुए अश्क से कहा मैं ने
हर एक दर्द की तशहीर थोड़ी होती है

सफ़र ये करते हैं इक दिल से दूसरे दिल तक
दुखों के पाँव में ज़ंजीर थोड़ी होती है

दुआ को हाथ उठाओ तो ध्यान में रखना
हर एक लफ़्ज़ में तासीर थोड़ी होती है