हक़ीक़त महरम-ए-असरार से पूछ
मज़ा अँगूर का मय-ख़्वार से पूछ
वफ़ा अग़्यार की अग़्यार से सुन
मिरी उल्फ़त दर ओ दीवार से पूछ
हमारी आह-ए-बे-तासीर का हाल
कुछ अपने दिल से कुछ अग़्यार से पूछ
दिलों में डालना ज़ौक़-ए-असीरी
कमंद-ए-गेसू-ए-ख़मदार से पूछ
दिल-ए-महजूर से सुन लज़्ज़त-ए-वस्ल
नशात-ए-आफ़ियत बीमार से पूछ
नहीं जुज़ गिर्या-ए-ग़म हासिल-ए-इश्क़
हमारी चश्म-ए-दरिया-बार से पूछ
नहीं आब-ए-बक़ा जुज़ जल्वा-ए-दोस्त
किसी लब-तिश्ना-ए-दीदार से पूछ
फ़रेब-ए-वादा-ए-दिलदार की क़द्र
शहीद-ए-ख़ंजर-ए-इंकार से पूछ
फ़ुग़ान-ए-शौक़ को माने नहीं वस्ल
ये नुक्ता अंदलीब-ए-ज़ार से पूछ
तसव्वुर में किया करते हैं जो हम
वो तस्वीर-ए-ख़याल-ए-यार से पूछ
मता-ए-बे-बहा है शेर-ए-'हाली'
मिरी क़ीमत मिरी गुफ़्तार से पूछ
ग़ज़ल
हक़ीक़त महरम-ए-असरार से पूछ
अल्ताफ़ हुसैन हाली