EN اردو
हमें न देखिए हम ग़म के मारे जैसे हैं | शाही शायरी
hamein na dekhiye hum gham ke mare jaise hain

ग़ज़ल

हमें न देखिए हम ग़म के मारे जैसे हैं

अहमद अता

;

हमें न देखिए हम ग़म के मारे जैसे हैं
कि हम तो वैसे हैं उस के इशारे जैसे हैं

ये वस्ल, वस्ल की मद में ग़लत शुमार किया
कि उस के साथ भी यूँही किनारे जैसे हैं

तिलिस्म-ए-चश्म सलामत रहे कि जिस के सबब
कहीं हैं फूल कहीं हम सितारे जैसे हैं

वो जानता है जभी दूर भागता है बहुत
वो जानता है हम उस को ख़सारे जैसे हैं

हम आज हँसते हुए कुछ अलग दिखाई दिए
ब-वक़्त-ए-गिर्या हम ऐसे थे, सारे जैसे हैं

उसे कहो कि सितारे शुमार तो न करे
कहो क़दम धरे, छोड़े उतारे जैसे हैं

ये ग़म के फूल हैं या शेर देखिए और बस
हमें पता है कि हम ने निखारे जैसे हैं