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हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है | शाही शायरी
hum tum mein kal duri bhi ho sakti hai

ग़ज़ल

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है

बेदिल हैदरी

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हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है
वज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है

प्यार की ख़ातिर कभी भी हम कर सकते हैं
वो तेरी मज़दूरी भी हो सकती है

सुख का दिन कुछ पहले भी चढ़ सकता है
दुख की रात उबूरी भी हो सकती है

दुश्मन मुझ पर ग़ालिब भी आ सकता है
हार मिरी मजबूरी भी हो सकती है

'बेदिल' मुझ में ये जो इक कमी सी है
वो चाहे तो पूरी भी हो सकती है