EN اردو
हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया | शाही शायरी
humne aadab-e-gham ka pas kiya

ग़ज़ल

हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया

सहर अंसारी

;

हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया
नक़्द-ए-जाँ को ज़ियाँ क़यास क्या

ज़ीस्त के तजरबात का हम ने
मिस्ल-ए-आईना इनइ'कास किया

ख़बर-ए-आगही के पर्दे में
उम्र भर मातम-ए-हवास किया

तोहमत-ए-शो'ला-ज़बाँ ले कर
सूरत-ए-ज़ख़्म इल्तिमास किया

कैसे इक लफ़्ज़ में बयाँ कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया

आ गया जब सलीक़ा-ए-ता'मीर
क़स्र-ए-हस्ती को बे-असास क्या

क्यूँ 'सहर' तुम ने अपने सहरा को
मौज-ए-दरिया से रू-शनास किया