EN اردو
हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई | शाही शायरी
hum ko masti o KHwari aai

ग़ज़ल

हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई

साहिर होशियारपुरी

;

हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई
तुम को दुनिया-दारी आई

दिल-जूई दिलदारी आई
तुम को भी ये अय्यारी आई

फूल को हम ने जब भी छुआ है
हाथ में इक चिंगारी आई

साक़ी गुम ख़ाली मय-ख़ाना
कैसी ये बाद-ए-बहारी आई

हुस्न वही है हुस्न कि जिस को
सादगी ओ पुरकारी आई

मुश्किल जब आसान हुई तो
उल्फ़त में दुश्वारी आई

मक़्तल में इक शोर बपा है
आई मेरी बारी आई

हुस्न की हर मासूम नज़र से
दिल पर ज़र्ब-ए-कारी आई

सुब्ह से दिल मसरूर है 'साहिर'
रात ये हम पर भारी आई