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हम बाँसुरी पर मौत की गाते रहे नग़्मा तिरा | शाही शायरी
hum bansuri par maut ki gate rahe naghma tera

ग़ज़ल

हम बाँसुरी पर मौत की गाते रहे नग़्मा तिरा

ख़लील-उर-रहमान आज़मी

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हम बाँसुरी पर मौत की गाते रहे नग़्मा तिरा
ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी रुत्बा रहे बाला तिरा

अपना मुक़द्दर था यही ऐ मम्बा-आसूदगी
बस तिश्नगी बस तिश्नगी गो पास था दरिया तिरा

इस गाम से उस गाम तक ज़ंजीर-ए-ग़म के फ़ासले
मंज़िल तो क्या हम को मिले, चलता रहे रस्ता तिरा

तू कौन था क्या नाम था तुझ से हमें क्या काम था
है पर्दा-ए-दिल पर अभी धुँदला सा इक चेहरा तिरा

सूरज है गो ना-मेहरबाँ है सर पे नीला साएबाँ
ऐ आसमाँ ऐ आसमाँ दाइम रहे साया तिरा