हम बाँसुरी पर मौत की गाते रहे नग़्मा तिरा
ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी रुत्बा रहे बाला तिरा
अपना मुक़द्दर था यही ऐ मम्बा-आसूदगी
बस तिश्नगी बस तिश्नगी गो पास था दरिया तिरा
इस गाम से उस गाम तक ज़ंजीर-ए-ग़म के फ़ासले
मंज़िल तो क्या हम को मिले, चलता रहे रस्ता तिरा
तू कौन था क्या नाम था तुझ से हमें क्या काम था
है पर्दा-ए-दिल पर अभी धुँदला सा इक चेहरा तिरा
सूरज है गो ना-मेहरबाँ है सर पे नीला साएबाँ
ऐ आसमाँ ऐ आसमाँ दाइम रहे साया तिरा
ग़ज़ल
हम बाँसुरी पर मौत की गाते रहे नग़्मा तिरा
ख़लील-उर-रहमान आज़मी