हम अपने-आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते
चुप रहते हैं दुख सहते हैं कोई रंज-ओ-मलाल नहीं करते
हम जो कुछ हैं हम जैसे वैसे ही दिखाई देते हैं
चेहरे पे बभूत नहीं मलते कभी काले बाल नहीं करते
हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया
इन छोटी छोटी बातों का हम कोई ख़याल नहीं करते
तेरे दीवाने हो जाते कहीं सहराओं में खो जाते
दीवार-ओ-दर में क़ैद हमें अगर अहल-ओ-अयाल नहीं करते
तिरी मर्ज़ी पर हम राज़ी हैं जो तू चाहे सो हम चाहें
हम हिज्र की फ़िक्र नहीं करते हम ज़िक्र-ए-विसाल नहीं करते
हमें तेरे सिवा इस दुनिया में किसी और से क्या लेना-देना
हम सब को जवाब नहीं देते हम सब से सवाल नहीं करते
ग़ज़लों में हमारी बोलता है वही कानों में रस घोलता है
वही बंद किवाड़ खोलता है हम कोई कमाल नहीं करते
ग़ज़ल
हम अपने-आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते
वाली आसी