है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
दुनिया नहीं मर्दान-ए-जफ़ा-कश के लिए तंग
चीते का जिगर चाहिए शाहीं का तजस्सुस
जी सकते हैं बे-रौशनी-ए-दानिश-ओ-फ़रहंग
कर बुलबुल ओ ताऊस की तक़लीद से तौबा
बुलबुल फ़क़त आवाज़ है ताऊस फ़क़त रंग
ग़ज़ल
है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
अल्लामा इक़बाल