है तिरा गाल माल बोसे का
क्यूँ न कीजे सवाल बोसे का
मुँह लगाते ही होंठ पर तेरे
पड़ गया नक़्श लाल बोसे का
ज़ुल्फ़ कहती है उस के मुखड़े पर
हम ने मारा है जाल बोसे का
सुब्ह रुख़्सार उस के नीले थे
शब जो गुज़रा ख़याल बोसे का
अँखड़ियाँ सुर्ख़ हो गईं चट से
देख लीजे कमाल बोसे का
जान निकले है और मियाँ दे डाल
आज वा'दा न टाल बोसे का
गालियाँ आप शौक़ से दीजे
रफ़अ' कीजे मलाल बोसे का
है ये ताज़ा शगूफ़ा और सुनो
फूल लाया निहाल बोसे का
अक्स से आइने में कहता है
खींच कर इंफ़िआल बोसे का
बर्ग-ए-गुल से जो चीज़ नाज़ुक है
वाँ कहाँ एहतिमाल बोसे का
देख 'इंशा' ने क्या किया है क़हर
मुतहम्मिल ये गाल बोसे का
ग़ज़ल
है तिरा गाल माल बोसे का
इंशा अल्लाह ख़ान