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हासिल-ए-इश्क़ तिरा हुस्न-ए-पशीमाँ ही सही | शाही शायरी
hasil-e-ishq tera husn-e-pashiman hi sahi

ग़ज़ल

हासिल-ए-इश्क़ तिरा हुस्न-ए-पशीमाँ ही सही

नासिर काज़मी

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हासिल-ए-इश्क़ तिरा हुस्न-ए-पशीमाँ ही सही
मेरी हसरत तिरी सूरत से नुमायाँ ही सही

हुस्न भी हुस्न है मोहताज-ए-नज़र है जब तक
शोला-ए-इश्क़ चराग़-ए-तह-ए-दामाँ ही सही

क्या ख़बर ख़ाक ही से कोई किरन फूट पड़े
ज़ौक़-ए-आवारगी-ए-दश्त-ओ-बयाबाँ ही सही

पर्दा-ए-गुल ही से शायद कोई आवाज़ आए
फ़ुर्सत-ए-सैर-ओ-तमाशा-ए-बहाराँ ही सही