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ग़ुस्सा आता है प्यार आता है | शाही शायरी
ghussa aata hai pyar aata hai

ग़ज़ल

ग़ुस्सा आता है प्यार आता है

मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की

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ग़ुस्सा आता है प्यार आता है
ग़ैर के घर से यार आता है

मय पिलानी अगर नहीं मंज़ूर
अब्र क्यूँ बार बार आता है

तेरे रोने से अब मुझे भी ख़ौफ़
दीदा-ए-अश्क-बार आता है

दर्द-ए-दिल क्या बयाँ करूँ 'रश्की'
उस को कब ए'तिबार आता है