गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
है देखने की चीज़ इसे बार बार देख
आया है तू जहाँ में मिसाल-ए-शरार देख
दम दे न जाए हस्ती-ना-पाएदार देख
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
खोली हैं ज़ौक़-ए-दीद ने आँखें तिरी अगर
हर रहगुज़र में नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-यार देख
ग़ज़ल
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
अल्लामा इक़बाल