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गोया चमन चमन न था | शाही शायरी
goya chaman chaman na tha

ग़ज़ल

गोया चमन चमन न था

अबु मोहम्मद सहर

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गोया चमन चमन न था
ऐसा उजाड़ बन न था

ख़ूँ से तर रविश रविश
रंग-ए-गुल-ओ-समन न था

ख़ार-ए-अलम से तार तार
कौन सा पैरहन न था

सिक्का-ए-दिल ख़राब-हाल
उस का कहीं चलन न था

आज अगर गुज़र गया
कल का कोई जतन न था

बज़्म-ए-अदब भी दम-ब-ख़ुद
कहने को कुछ सुख़न न था

नस्र तमाम तर फ़ुज़ूल
शेर असर-ए-फ़गन न था