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गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा | शाही शायरी
go nazar aksar wo husn-e-la-zawal aa jaega

ग़ज़ल

गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा

ख़ुर्शीद रिज़वी

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गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा
राह में लेकिन सराब-ए-माह-ओ-साल आ जाएगा

या शिकन-आलूद हो जाएगी मंज़र की जबीं
या हमारी आँख के शीशे में बाल आ जाएगा

रेत पर सूरत-गरी करती है क्या बाद-ए-जुनूब
कोई दम में मौजा-ए-बाद-ए-शिमाल आ जाएगा

दोस्तो मेरी तबीअत का भरोसा कुछ नहीं
हँसते हँसते आँख में रंग-ए-मलाल आ जाएगा

जाने किस दिन हाथ से रख दूँगा दुनिया की ज़माम
जाने किस दिन तर्क-ए-दुनिया का ख़याल आ जाएगा

हादसा ये है कि सारी ज़िल्लतों के बावजूद
रफ़्ता रफ़्ता ज़ख़्म सू-ए-इंदिमाल आ जाएगा