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गो कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा | शाही शायरी
go kaThin hai tai karna umr ka safar tanha

ग़ज़ल

गो कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा

अनवर शऊर

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गो कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा
लौट कर न देखूँगा चल पड़ा अगर तन्हा

सच है उम्र भर किस का कौन साथ देता है
ग़म भी हो गया रुख़्सत दिल को छोड़ कर तन्हा

आदमी को गुमराही ले गई सितारों तक
रह गए बयाबाँ में हज़रत-ए-ख़िज़र तन्हा

है तो वज्ह-ए-रुस्वाई मेरी हमरही लेकिन
रास्तों में ख़तरा है जाओगे किधर तन्हा

ऐ 'शुऊर' इस घर में इस भरे-पुरे घर में
तुझ सा ज़िंदा-दिल तन्हा और इस क़दर तन्हा