EN اردو
घटा सावन की उमडी आ रही है | शाही शायरी
ghaTa sawan ki umDi aa rahi hai

ग़ज़ल

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

;

घटा सावन की उमडी आ रही है
पयाम-ए-अश्क भर भर ला रही है

रगों में ख़ून गर्दिश कर रहा है
जवानी साज़-ए-दिल पर गा रही है

रुलाता है उन्हें भी क्या ये सावन
मुझे काली घटा तड़पा रही है

तरन्नुम-ख़ेज़ जमुना के किनारे
किसी की याद पैहम आ रही है