ग़ैर उल्फ़त का राज़ क्या जाने
लुत्फ़-ए-नाज़-ओ-नियाज़ क्या जाने
नीम-जानों पे क्या गुज़रती है
नर्गिस-ए-नीम-बाज़ क्या जाने
मेरे तूल-ए-शब-ए-जुदाई को
तेरी ज़ुल्फ़-ए-दराज़ क्या जाने
पाक-बाज़ान-ए-मय-कदा का मक़ाम
जो न हो पाक-बाज़ क्या जाने
दिल है उस पर्दे में कोई वर्ना
शम्अ सोज़ ओ गुदाज़ क्या जाने
हम जो मस्ती में गिरते पड़ते हैं
ज़ाहिद ऐसी नमाज़ क्या जाने
राह-ए-उल्फ़त न जिस ने तय की हो
वो नशेब-ओ-फ़राज़ क्या जाने
जिस के दिल में न सोज़ हो वो 'जलील'
कैफ़-ए-आवाज़-ए-साज़ क्या जाने
ग़ज़ल
ग़ैर उल्फ़त का राज़ क्या जाने
जलील मानिकपूरी