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ग़ैर के दिल में न जा कीजिएगा | शाही शायरी
ghair ke dil mein na ja kijiyega

ग़ज़ल

ग़ैर के दिल में न जा कीजिएगा

सनाउल्लाह फ़िराक़

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ग़ैर के दिल में न जा कीजिएगा
मेरी आँखों में रहा कीजिएगा

कासा-ए-चश्म को ले दर पे तिरे
बे-नवा या न सदा कीजिएगा

ज़ाइरान-ए-हरम-ओ-दैर कभू
मेरे हक़ में भी दुआ कीजिएगा

वाए इस अपनी सियह-बख़्ती पर
ख़ाहिश-ए-ज़ुल्फ़-ए-रसा कीजिएगा