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गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही | शाही शायरी
gali sahi ada sahi chin-e-jabin sahi

ग़ज़ल

गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही

इंशा अल्लाह ख़ान

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गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही
ये सब सही पर एक नहीं की नहीं सही

मरना मिरा जो चाहे तो लग जा गले से टुक
अटका है दम मिरा ये दम-ए-वापसीं सही

गर नाज़नीं के कहने से माना बुरा हो कुछ
मेरी तरफ़ को देखिए मैं नाज़नीं सही

कुछ पड़ गया है आँख में रोना कहे है तू
क्यूँ मैं अबस को बहसूँ यही दिल-नशीं सही

आगे बढ़े जो जाते हो क्यूँ कौन है यहाँ
जो बात हम को कहनी है तुम से यहीं सही

मंज़ूर दोस्ती जो तुम्हें है हर एक से
अच्छा तो क्या मुज़ाएक़ा 'इंशा' से कीं सही