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गाह बिस्मिल हूँ गहे तकबीर हूँ | शाही शायरी
gah bismil hun gahe takbir hun

ग़ज़ल

गाह बिस्मिल हूँ गहे तकबीर हूँ

किशन कुमार वक़ार

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गाह बिस्मिल हूँ गहे तकबीर हूँ
अपनी मैं तदबीर का तक़दीर हूँ

मेरे दम से है जुनूँ की आबरू
पासबान-ए-ख़ाना-ए-ज़ंजीर हूँ

बे-रुख़ी पर है कमाँ तक़दीर की
गो सरापा नावक-ए-तदबीर हूँ

दुश्मनों के हूँ ज़रर का सरनविश्त
दोस्तों के नफ़अ' की तक़रीर हूँ

है ख़राबी रख़्ना-अंदाज़-ए-बिना
क़स्र-ए-बर्बादी का मैं ता'मीर हूँ

क़द तवाज़ो' में है ख़म मिस्ल-ए-कमाँ
रास्त-कारी में मिसाल-ए-तीर हूँ

मैं हूँ इक नक़्क़ाश शाइर ऐ 'वक़ार'
खींचता अशआ'र की तस्वीर हूँ