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डूबते वक़्त जो कुछ हाथ में गौहर आए | शाही शायरी
Dubte waqt jo kuchh hath mein gauhar aae

ग़ज़ल

डूबते वक़्त जो कुछ हाथ में गौहर आए

चराग़ बरेलवी

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डूबते वक़्त जो कुछ हाथ में गौहर आए
सब के सब नाख़ुदा के हाथ में हम धर आए

जंग लड़ने गए हम जो सहर-ए-दुनिया से
शाम को घर कई हिस्सों में बिखर कर आए

उस की आँखों को तमाशे की तमन्ना है बहुत
उस से कहना कि किसी रात मिरे घर आए

हाए उस नक़्ल-ए-मकानी ने किया है बर्बाद
जितने बसने को गए उतने उजड़ कर आए