दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश
पर्दा दर ख़ियाम-ए-अक़्ल-ए-रख़्ना-गर हरीम-ए-होश
ग़ाज़ा ब-रू मिसी ब-लब पान ब-दहन हिना ब-कफ़
सिल्क-ए-दुर्र-ए-अदन बसर तुर्रा-ए-अम्बरीं ब-दोश
पल में मरीज़ वो करे दम में शिफ़ा ये दे मुझे
आह वो चश्म-ए-मय-परस्त वाह वो लाल-ए-बादा-नोश
माइल-ए-ऐश जान कर जाहिल बेवफ़ा कहे
साइल-ए-बोसा जबकि हूँ चुपके कहे कि चुप ख़मोश
इश्क़ में सब है बेहतरी देख ब-चश्म घड़ी
रश्क-ए-क़मर है मुश्तरी-ए-दीदा-गह-ए-फ़रोश
मुंकिर-ए-मय था शैख़ कल आज ये हाल है कि है
जाम-ब-दस्त-ओ-ख़ुम-ब-सर शीशा-ब-लब-ओ-ब-दोश
नग़्मा-सरा हो 'मुहसिना' ताकि वो बाग़ बाग़ बाग़
सौसन-ए-सद-ज़बान हो गुल की तरह तमाम गोश
ग़ज़ल
दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी