EN اردو
दिल ये करता है आज मेरा भी | शाही शायरी
dil ye karta hai aaj mera bhi

ग़ज़ल

दिल ये करता है आज मेरा भी

राजेन्द्र कलकल

;

दिल ये करता है आज मेरा भी
पूछ ले वो मिज़ाज मेरा भी

उन की दस्तार के बचाने में
गिर गया सर से ताज मेरा भी

यूँ तो नुस्ख़े हज़ार थे उन पर
था मरज़ ला-इलाज मेरा भी

आज दुश्मन है जान का मेरी
था कभी ये समाज मेरा भी

मुझ पे करते रहे हुकूमत वो
ख़ुद पे कब होगा राज मेरा भी